Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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वीर धन्ना ] .
मारी का विवाह कर दूंगा । धन्ना बहुत साहसी था । ढिंढोरे को सुनकर उसने हाथी को वश में कर लिया। राजा ने अपनी कुमारी का विवाह धन्ना के साथ कर दिया। इससे सारे नगर में धन्ना का बहुत मान बढ़ गया। .
उसी राजगृह नगर में एक करोड़पति सेठ रहता था। उस सेठ का नाम गौभद्र था । गौभद्र के यहाँ एक काना आदमी आया। यह काना आदमी गौभद्र सेठ से कहने लगा कि-"सेठ आप अपने एक लाख रुपये लीजिये और मेरी जो आंख आपके यहां गिरवी रखी है, वह लाइये । सेठ ने उस काने को उत्तर दिया, कि-"तुम्हारी बात बिलकुल झूठ है । ऐसा होना कदापि संभव नहीं । सेठ ने यह उत्तर दे दिया, लेकिन वह काना आदमी क्यों मानने लगा ? उसे तो सेठ के गले पड़ना था । आखिर को सेठ से काने ने लड़ाई की और वह राजा के पास न्याय मांगने के लिये गया। राजा समझ तो गया कि यह काना आदमी ठग है, लेकिन वह इस विचार में पड़ गया कि इस काने आदमी को झूठा कैसे ठहराया जाय ? , यह बात धन्ना को मालूम हुई। धन्ना राजा के दरबार में गया और राजा से कहा-कि यदि आज्ञा हो तो इस मामले का त्याय मैं करहूँ। राजा ने उत्तर दिया कि-अच्छी बात है, तुम्हीं इसका न्याय करो।
धन्ना ने सेठ और उस ठग, दोनों को बुलाया और न्याय के लिये ठग से कहा कि सेठ के यहां बहुत सी आंखें गिरवीं हैं उन आंखों में यह पता कैसे लग सकता है, कि कौनसी आंख किसकी है, इसलिये तुम्हारी जो आंख सेठ के यहाँ गिरवी रखी है, उसका नमूना लाओ और अपनी आंख ले जोओ। धन्ना के इस कहने से ठग पकड़ा आया। वह, आंख का नमूना कहां से दे सकता था ? यदि नमूने के लिये अपनी आंख देता है तो अन्धा हो जाता है, इस प्रकार इस काने की उगी सिद्ध हुई और राजा ने उसे दण्ड दिया।
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