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( २८ ) तथा आप जो कुछ उत्तर दे रहे हैं, उसको किस शास्त्र के किस पाठ का समर्थन प्राप्त है ?
अन्तिम दसवीं दलील देकर हम इस विषय को समाप्त कर देंगे। भगवान अरिष्टनेमि को संयम लेने से पूर्व तेरह-पन्थी श्रावक जितना ज्ञान तो रहा ही होगा। यानी इतना तो वे जानते ही होंगे कि जल की एक एक बूंद में असंख्य २ जीव हैं। ऐसा होते हुए भी उन्होंने राजमति के यहाँ जाने से पूर्व मिट्टी, ताँबा, पीतल, सोने और चाँदी इनमें से प्रत्येक के बने हुए एक सौ माठ घड़ों के जल से स्नान किया। यह कितने जीवों की हिंसा हुई ? फिर बरात सजाकर राजमती के यहाँ गये । उसमें भी कितने त्रस और स्थावर जीवों की हिंसा हुई होगी? इतनी बड़ी-बड़ी हिंसा के समय तो वे कुछ भी न बोले और राजमति के वहाँ बाड़े में बन्द पशुओं को देखकर कहा
जइमज्झ कारणा ए ए, हम्मति सु बहुजिया । न मे एयं तु निस्सेसं, परलोगे भविस्सई ॥
('उत्तराध्ययन सूत्र' २२ वाँ अध्याय) अर्थात्-मेरे कारण होने वाली यह बहुत जीवों की हिंसा, मेरे लिए परलोक में श्रेयकारी नहीं हो सकती।
भगवान् अरिष्टनेमि के लिए पूर्व के इक्कीस तीर्थकर स्पष्ट कह गये थे, कि अरिष्टनेमिजी बाल ब्रह्मचारी रहेंगे और भगवान
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