Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terah Panth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Balchand Shrishrimal

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Page 187
________________ ( १७६ ) तेरापन्थ के सिद्धान्त के सम्बन्ध में टीका करने के उद्देश्य से हम यह नहीं करते। आज का युग धर्म प्रत्येक नागरिक के पास से निर्भयता की और समाज कुटुम्ब तथा राष्ट्र के लिये अधिक से अधिक बलीदान को माँगणी कर रहा है, ऐसे समय में तेरा-पन्थ के सिद्धान्त का प्रचार बिलकुल हास्यास्पद बने और जैन शासन तथा जैन संस्कृति को अवहेलना हो, ऐसा पूर्ण भय रहता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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