Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terah Panth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Balchand Shrishrimal

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Page 188
________________ परिशिष्ट नं. ३ तेरा-पन्थ अने तेनी मान्यतायो (ले०-श्रीमान् चीमनलाल चकुभाई शाह J. P., M. A. LL. B.) सोलीसीटर टु धी बोम्बे गवर्नमेन्ट सेकेटरी-श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कान्फरेन्स, . आपणा समाजनुं सतत होत चिन्तवता एक मुनिराजे कान्फरन्सनुं ध्यान खेंच्यु के के आ वर्षे तेरा-पन्थो साधुलो गुजरात काठीयावाडमां उता छ भने केटलेक स्थळे चातुर्मास करी पोताना पन्यनो प्रचार करे छे. गुजरात काठीयावाडमा तेरापन्थनु नामर्नु न स्थान छे, काठीयावाडमां तो हुँ जाणुं छु त्या सुधी विलकुल नयी ज्यारे गुजरातमां सुरतमा ज २-४ कुटुम्ब मा पन्थना अनुयायी के. ___ तेरा-पन्थ स्थानकवासी सम्प्रदायमाथी गभग १०५ वर्ष पूर्व जुदो पडेल नवो पन्थ छे. तेनां साधु साध्वीको स्थानकवासी साधु साची जेवो ज पहेरवेश पहेरे छ, सिवाय के भ्यान पूर्वक जोवामा जावे तो खबर पड़े के तेमनी मुंहपत्ति विशेष गंदी अने पहोलाइमा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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