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जीव बचाना पाप नहीं है
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दान की ही तरह जीवों को बचाना पाप नहीं है, यह सिद्ध करने का प्रयत्न भी सूर्य को दीपक से सिद्ध करने के प्रयत्न करने के समान है। क्योंकि जैन शासन का प्रादुर्भाव मरते हुए जीवों को बचाने के लिए ही है, यह बात प्रसिद्ध है। शास्त्र भी इसी बात समर्थन करते हैं। 'श्री प्रश्न व्याकरण सूत्र में कहा है किसब जग जीव रक्खण दयद्वयाए पावयणं भगवया सुकहियं ।
अर्थात्-समस्त जगत के जीवों की रक्षा और दया के लिए ही भगवान ने प्रवचन कहा है।
तेरह पन्थी लोग इस शास्त्र पाठ के विषय में यह कहते हैं कि दया और रक्षा का अर्थ यही है कि किसी जीव को न मारना, लेकिन किसी मरते हुए जीव को बचा देना दया या अनुकम्पा नहीं है। यद्यपि तेरह-पन्थियों का यह अर्थ गल्त है, थोड़ीसी भी
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