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चोर है, और यह धन है । यह चोर धन चुरा कर जा रहा था, लेकिन हमने इसको चोरी के त्याग का उपदेश दिया, इसलिए इसने धन त्याग कर चोरी करने का सदा के लिए त्याग कर
और धन के
मालिक ने
बचाकर बड़ी
कृपा की ।
लिया है । यह सुनकर उस मकान महात्मा से कहा कि आपने मेरा धन यदि यह धन चला जाता, तो मैं लड़के का विवाह कैसे करता, मकान कैसे बनाता और अन्य काम कैसे करता ।'
पाप से बचाने के लिए उपदेश यदि धन बचाने के लिए साधु ने द्वारा होने वाले समस्त कामों में उस धन के द्वारा होने वाले कामों का इसलिए यह मानना होगा कि साधु ने नहीं दिया, किन्तु चोर को चोरी के उपदेश दिया ।'
'अब सोचने की बात यह है, कि साधु ने चोर को चोरी के दिया, या धन बचाने के लिए । उपदेश दिया हो तो उस धन साधु का अनुमोदन होगा । पाप साधु को भी लगेगा । धन रक्षा के लिए उपदेश पाप से बचाने के लिये
'यही बात मारने वाले और मारे जाने वाले के लिए भी समझो । एक आदमी एक बकरे को मार रहा है। उस मारने वाळे को पाप से बचाने के लिए साधु उपदेश देते हैं, परन्तु बकरे को बचाने के लिए नहीं देते । यदि बकरे को बचाने के लिए साधु उपदेश देते हैं, तो फिर ऐसा भी मानना होगा कि धन
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