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परिशिष्ट २०१ इस उद्धरण से तेरह-पन्थ सम्प्रदाय के संकुचित
भानस का परिचय होगा थली में पाँच दिन का प्रवास (.-श्री भंवरमलजी सिंधी, 'तरुण जैन' नामक मासिक पत्र से उद्धृत
अंक-दिसम्बर १९४१ के लेख का उपयोगी अंश) मैं तारीख ६ नवम्बर की रात को डाउनू पहुँचा। लाडनू में एक ही दिन में कई संस्थानों को देख सका और बहुत से लोगों से बहुत से विषयों पर चर्चा विमर्श करने का मौका मिला, इसका श्रेय कार के उन मित्रों को है, जिन्होंने अपना समय देकर मुझे कृतार्थ किया।
दूसरे दिन सुबह मेरे मित्र श्री मूलचन्दजी बैद और में पड़िहारा जाने के लिए सुजानगढ़ स्टेशन तक ऊट पर गये। वहाँ
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