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( ११९ ) जो असंख्य जीव बचे थे, उनके बच जाने से हाथी को जो पाप हुला था उसका दुष्परिणाम स्वरूप क्या फल मिला ? हाथी को पुण्य या धर्म तो हुमा एक शसले के न मारने का और पाप हुआ असंख्य जीवों के बचने का। इस प्रकार धर्म या पुण्य की अपेक्षा पाप ही अधिक हुआ। ऐसी दशा में हाथी को मेघकुमार का जन्म मिलने का क्या कारण था ? __ इसके सिवाय यदि और जीवों का बचना पाप होता, तो भगवान महावीर मेषकुमार से स्पष्ट कह देते कि तूने शसले को नहीं मारा यह तो तुझे धर्म या पुण्य हुआ, परन्तु अन्य जीवों को तूने अपने मण्डल में आश्रय दिया, इसका तुझे पाप हुआ, जिसका परिणाम तुझे इस प्रकार भोगना होगा। भगवान ने ऐसा न कह कर यह कहा, कि प्राणी भूत जीव सत्व की अनुकम्पा से तूने सम्यक्त्व प्राप्त किया, संसार परिमित किया यानी संसार का जन्म मरण घटाया। ऐसी दशा में तेरह-पन्थियों द्वारा इस विषयक की जाने वाली दलील बिलकुल व्यर्थ ही ठहरती है।
किसी मरते हुए जीव को बचाने में पाप सिद्ध करने के लिए तेरह-पन्थी लोग एक और दलील देते हैं। वे कहते हैं कि किसी मरते हुवे को बचाने, या किसी प्यासे को पानी पिलाने या किसी को कष्ट मुक्त करने में अनि पानी श्रादि के असंख्य स्थावर जीवों
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