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दान और राजा श्रेणिक द्वारा कराई गई घोषणा पाप क्यों नहीं हैं ? भात, बरोठी, सगे-सम्बन्धी तथा श्रावक को जिमाने के सम्बन्ध में तो तेरह-पन्थी कहते हैं___छः काया जीवाँ ने जीव सू मारी ने सगा सयण न्यात जिमावेजो। यह प्रत्यक्ष छे सावद्य संसार नो कामों तिण में धर्म बतावेजी।
__ ('अनुकम्पा' ढाल ६ वीं) अर्थात्-छः काय के जीवों को जान से मारकर सम्बन्धी, मित्र और न्यात को जिमाना प्रत्यक्ष ही पापपूर्ण और संसारवृद्धि का काम है, लेकिन कुगुरु लोग इस काम में भी धर्म बताते हैं ।
श्रावक ने मां हो माँ हो छः काय खवावे, छः काय मारी ने जिमावे । यह जीव हिंसा रो राह खोटो, तिण मां ही धर्म अनार्य बतावे ॥१॥
('अनुकम्पा' ढाल १३ वीं) खर्च आधरणी ने भात बरोठी, अनेक आरम्भ कर न्यात जिमावे । ये सब संसार तणा कर्तव्य छ, तिण मां ही मूरख धर्म बतावे ॥ १० ॥
('अनुकम्पा' ढाल १३ वीं) अर्थात्-श्रावक परस्पर छः काय के जीव खिलाते हैं, और
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