________________
[१३]
जुमामस्जिद वगैरह जागाको अपने मान्य और पवित्र पाक समझा है । पंजाबमें सिक्स्व महाशयोंने जैसे अमृतसरके दरबार साहिबको, तरनतारनको, भदैनी साहिब और रोड़ी साहिवको । गुसाँइ समाजने बद्दोकी के मंदिरको । रामचंद्रजीके उपासकांने सेतुबंध रामेश्वरको, वैदिक पौराणिकने काशीबाणारसीको । नदियोंके भक्तोंने जैसे गंगा यमुना त्रिवेणी सरस्वती वगैरहको अपने पुण्यक्षेत्र माने
और स्वीकारे है, ऐसे जैन संप्रदायमें-शत्रुनय-गिरिनार-आबु-अष्टापद-सम्नेतशिखर-कुलपाक,जीरावला-अंतरिक्ष-मांडवगढ, अवंती, केसरियानी, कांगडा, कावी, भेरा, हस्तिनापुर, पावापुरी, चं. पापुरी, राणकपुर, बरकाणा, शंखेश्वर, भायणी, नाडोल, नाडलाइ, मुछाला महावीर, पानसर, मित्राणा, झगडिया, महुवा, डाठा, फलौधो पार्श्वनाथ, कापरडाजी, ओसिया आदिको पावन तीर्थ स्थल माने गये हैं। उनमेंभी तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय
और गिरिनारको अत्युत्कृष्ट तीर्थोत्तम सदा स्मरणीय सदा वंदनीय पूजनीय माना है ।
Aho! Shrutgyanam