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[ ७२ ] स्थानका वर्णन करते हुए लिखा है कि- " राज्य इस देशका सदासे सूर्य और चंद्रवंश राजाओंके घरानेमें रहा. परंतु अगले समयके हिन्दु राजाओं का वृत्तान्त कुछ ठीक ठीक नही मिलता. और न उनके साल संवतका कुछ पता लगता है जो किसी कवियां भाटने किसी राजाका कुछ हाल लिखाभी है तो उसे उसने अपनी कविताकी शक्ति दिखलाने के लिये जैसा बढाया है कि अब सचको झूठसे जुदा करना बहूत काठिन होगया.
सिवाय इसके ब्राह्मणोने बोधराजाओं को असुर और राक्षस ठहरा कर बहुतों का नाम मात्रभी अपने ग्रंथो मे लिखना छोड दिया. और इसी तरह बौध ग्रंथकारोने इनके राजाओं का वर्णन अपनी पुस्तकोमें लिखना अयोग्य जाना तिसपरभी बहुतसे ग्रंथ अब लोप हो गये, बौधोंने ब्राह्मणोके ग्रंथ नाश किये. और ब्राह्मणोने बौधोके ग्रंथ गारद किये. मुसमानोने दोनोको मिद्दीमे मिला दिया. "
दूसरा सवाल यह भी हो सकता है कि - संप्रति राजाके नामका कोइ शिलालेख क्यो नही मिलता ?
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