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[ ८२ ] रत्न मंडण गणि हैं सोलहवी शताब्दी मे आप हुए हैं ।
(३७) हीर सौभाग्य काव्य - श्रीमान् सिंहविमल गणिके शिष्य श्रीदेवविमल गणिका बनाया हुआ यह एक महाकाव्य है.
(३८) श्रीविजयमशस्ति काव्य भी एक बडा भारी ऐतिहासिक काव्य है इसके कर्ता श्रीमान् हेमविजय गणी तथा श्रीमान् गुण विजय गणी हैं यह भी महाकाव्य का ग्रन्थ है वि० सं० १६८८ में यह काव्य बना हैं.
(३९) श्री भानुचंद्र चरित्र - इस काव्य के रचयिता श्रीमान् सिद्धिवन्द्र उपाध्याय है सतरहवी aaratमें इसको बनाया है
(४०) विजयदेव माहात्म्य. इसके कर्ता श्री. मान वल्लभोपाध्याय है । इसमें श्रीविजय - देवसूरिजीके जीवनका वर्णन करने में आया है ।
( ४१ ) दिग्विजय महाकाव्य - १८ वीशताद्वी में श्रीमान् मेघ विजय उपाध्यायने इसको बनाया है
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