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[११९ ] रणमे लाकर उनको प्रतिमाएँ अर्थात् बिम्ब बनाकर पूजे जाते हैं, शास्त्र नीतिसे जिनप्रतिमाएँ जिनके समानही मानी जाती हैं, और पूजी जाती हैं. मिसरी जहां खाइ जायगो वहांही मोठी लगेगी, प्रभु पू. जन जिस जगह किया जावेगा वहांडो फलदायक होगा. तथापि अg जय गिरनार ऊार को हुई पूना अथवा दानादि अन्य सर्व क्रियाएँ भयात्माओंको अन्यक्षेत्रकी अपेक्षा अनंत फलके देनेवाली होती है। श्री शचुंजय महातीर्थकी पांचवी ढूंक का नाम "रक्ताचल" है, और उसका प्रसिद्ध नाम गिरनार है, गिरनार तीर्थपर श्री नेमिकुमार के ३ कल्याणक हो चुके है, इस लिये यह तीर्थ विशेष पूजा स्थान माना गया है, जैनशास्त्रोके अतिरिक्त अन्य सादा यौमें भी गिरनार तीर्थका प्रभावशाली वर्णन है जैसे कि प्रभास पुराणमे ऋषियांका कथन है कि" पद्मासनसमासीनः श्याममूर्तिदिगंबरः। "नेमिनाथः शिवेत्याख्या, नाम चक्रेऽस्य वामनः। किलिकाले महाघोरे, सर्वकल्मष नाशन: " दर्शनात्पर्शनादेव कोटियज्ञकलमदः ।।
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