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[ १०९] महातम श्री शेजा मांहे । एवं दीसे छे प्राये ॥ रत्न श्रावक अधिकार ॥ जीरण प्रबंधे छे सार ॥ १२ ॥ श्री जीनशासन ए दीपक ॥ हवा कलीकाले अलिझीपक ॥ श्रावक छे अवर अनेक ॥ कुण कहि जाणे ते छेक ॥ १३ ॥ सिद्धराज जेसंघ दे मेतो ॥ साजन मंत्री गह गहतो ॥ सारि सोर. ठनी जे कमाइ ॥ बार वर्ष सुधी जे निपाइ ॥१४॥ ते धन श्री गिरनारे वरियो ॥ श्री नेनि प्रासाद उधरियो । सिधराजे तेणे क्खाणो ॥ सचराचर जस ते जाणो ॥ १५ ॥ एवा वस्तुपाल तेजपाल ॥ मंत्री मुगट ते क्रिपाल ॥ श्री जैनधर्म दिपाव्या ॥ खट दर्शनने मन भाव्या ॥ १६ ॥ श्री सिद्धावल गिरिवर ॥ कोटि अढार ते उपर ॥ बाणु लक्ष ते प्रसिद्ध ।। एटलो ते द्रव्य वय कीध ॥ १७ ॥ श्री गिरनारे एम बार ।। कोड एसी लाख सारं ॥ अर्बुद लूणग वसही ॥ बार कोड त्रेपन लाख कही ॥ १८ ॥ एकसो चोत्रीसि चंग ॥ श्री जिन प्रसाद उतंग ॥ दोय सहस त्रणसें सार ॥ कीधा तेणे जीर्ण
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