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[ ७६ ] वर भट्ट है- जोकि गुजरातके सोलंकियों का पुरोहित था आपने इसकी रचना वि. सं. १२८२ के करीवकी है ।
(६) वसन्तविलास - इसको बालचन्द्रसूरिने तेरहवीं शताब्दी में बनाया है इसमें वस्तुपाल तेजपालका वृतान्त है ।
(७) धर्माभ्युदय महाकाव्य - विजयसेनमूरिके शिष्य श्री उदयप्रभसूरिने तेरहवीं शताब्दीमे इसको बनाया है । १४ सर्गेमे यह काव्य विभक्त है
(८) वस्तुपाल तेजपाल प्रशस्ति श्रीमान् जयसिंहसूरिने तेरहवी शताद्वीमें इसे बनाया है.
(९) सुकृतसंतीर्तन - वि. सं. १२०५ के करीव लवणसिंह के पुत्र अरिसिंहने इसको बनाया है, इसमें अणहिलवाडेको वसाने वाले राजा वनराजसे लेकरके सुभट सामंतसिंह तकके चावडोंकी वंशाबली तथा मूलराज से भीमदेव तक के, अणहिलवा'डेके सोलंकियोंका एवं अर्णोरा जसे वीरधवल तकके घोलका बाधेका संक्षिप्त वृतान्त और वस्तु
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