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[ ३६ ] [ विशेष परिचय-वस्तुपाल तेज:पाल ]
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शहर पाटणमे पोरवाड जातीमें अनेक जगत् प्रसिद्ध-उदार - गंभीर परोपकार परायण - नरपुंगव होचु के हैं । इस जातिमें आसराज नामके एक प्रसिद्ध मंत्री थे उनका आबु मंत्रीकी कुमारदेवी नाम कन्यासे व्याह हुआ था. चौलुक्य राजाओं की ओरसें उन्हे गुर्जर देशान्तर्गत " सुंहाला गाम बक्षीस था. आसराज कुछ अरसा पाटणमें रहकर पीछे मुहाले रहने लगे, वहां उनकों कितनीक संततिका लाभ हुआ. उन सब संतानोमें वस्तुपाल तेजपाल उनके प्रधान और अति प्रिय लडके थे । सुंहाला गाम में आसराजका स्वर्गारोहन हो गया तब वस्तुपालतेजपाल अपनी पूज्य माताकों साथ ले कर वढि - यार देशकी सीमाके गाम- मांडल में चले गये | वहां कुछ अरसे तक रहनेसें प्रजाका उनपर बडा प्रेम बढा । परंतु " अनित्यानि शरीराणि " यह सि द्धान्त तो त्रिलोकी भरमें व्याप्त है । कुछ अरसे के वाद अनेकानेक धर्म क्रियाओं द्वारा अपने मानव जीवन सफल और समाप्त कर मांडलमें ही कु
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