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[ ४३ ] लगवाई इत्यादि सत्कार्य कि जिनका विस्तार करनेमें एक बडा ग्रंथ तयार हो सक्ता है.
ट्रंक - संग्राम सोनी
आचार्य बुद्धि सागरजीने “ जैनोकी प्राचीनअर्वाचीन स्थिति " नामक पुस्तकमें वनियोंके ८४ गोत्र लिखे हैं. उसमें सोनी गोत्रका भी उल्लेख है. आज भी इस गोत्रके लोग मंदसोर मालवा में गुजरात के कितनेक शहरोंमें, काठियावाड के जेतलसर आदि गाम में विद्यमान हैं ।
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मुनि विद्याविजयजी संशोधित - ऐतिहासिकसझायमाला नाम ग्रंथ में लिखा है कि- सोम सुंदर सूरि के उपदेश मांडवगढ के रहीस संग्राम सोनीने अनेक धर्मकार्य किये थे. आचार्य महाराजके मांडवगढ में चौमासा कराकर उनसे पंचमांग श्री भगवती सूत्र सुनना शुरु किया था - जहां जहां गो यमा ! यह पद आता था संग्राम सोनी एक सुवर्ण मुद्रा (सोनामोहर) भेट किया करता था. छत्रीस
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