Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijay Free Jain Library

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Page 67
________________ चय के लिये--मेरे लिखे “दान कल्प द्रुम" के संस्कृत उपोद्घातको देखनेकी जरुरत है ) गिरिनार माहात्म्यके लेखक मि. दौलतचंद बी. ए. ने जेम्स वर्जसका प्रमाण लिखकर संग्राम सोनीकों दिल्लीपति बादशाह अकबरका समान कालीन ब. तानेकी कोशिश की है और लिखा है कि संग्राम सोनी शहर पाटणका रहनेवाला था बादशाह अक. बरका बडा सन्मान पात्र था, इतनाही नही बल्कि शहनशाह अकबर संग्राम को " चचा" कहकर बुलाया करता था । इसमे सत्य गवेषणाके लिये उनके लिखाये ग्रंथ-और उनकी भराई जिन प्रतिमाओंके लेख ही बस हैं. देखिये संग्राम सोनीके विषयमें पूर्वाचार्य क्या लिखते हैं। श्री उदयवल्लभसूरीश्वरपट्टे श्री ज्ञानसागरमूरि. गुरवः कथं भूताः ? सत्यार्थाः, श्री विमलनाथचरित्र प्रामुखानेक नव्यग्रन्थलहरीमकटनात् सार्थकाता येषां Aho! Shrutgyanam

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