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[६५] दिया तो सिर्फ ६ छः मासके बाद उसका काल दिखाई दिया आपने उस स्वतनुजमुनिका शीघ्र कल्याण करनेके लिये " श्री दशवैकालिक " सूत्र बनाकर उस होनहार बालकको पढाया । लडका उस सूत्रके अनुसार क्रियाको पालकर समाधि पूर्वक अनशन कर देवभूमिमें देव हुवा।
दशकालिक सूत्र दिन प्रतिदिन संयमी चारित्रपात्र साधु साध्वी वर्गको उपकारी होने लगा, और दुप्पसहमरि पर्यंत शासनको उपकारी होगा।४। __ श्री शय्यंभव मूरिजीके पाटपर श्री यशोभद्र सूरिजी बैठे यह आचार्य २२ वर्ष सांसारिकअवस्थामें रहके दीक्षित हुवे १४ वर्ष सामान्य पर्यायमें रहे ५० वर्ष युगप्रधानपद्वी पाकर ६२ वर्षकी उमरमें श्री मन्महावीर निर्वाणसे ९८ वर्षके बाद स्वर्गारुढ हुए ॥ ५ ॥
इनके बाद श्री संभूतिविजय भद्रबाहु दो पद धर आचार्य हुवे
श्री संभूतिविजयजी ४२ वर्ष गृहस्थावस्था चा:
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