________________
[ ७० ] प्रोफेसर जान फ्रायर अमेरिकाके ' हारपर्स' नामक मासिक पत्रभे एक लेख लिखकर यह बात साबित कर चुके हैं कि कपतान कोलम्बसके सैंकडे वर्ष पहले बौद्ध धर्म प्रचारक गण वहां गयेथे, और उन्होने बौद्धधर्म और एशियाई सभ्यताका प्रचार कियाथा।
हम कहते है वो सुर्य मंदिर नहीं परंतु जैनोका धर्मचक्रही क्युं न हो ?
पूर्वकालमें धर्मचक्र बनाये जाते थे और वोह देवमूर्तियों की तरह विधान पूर्वक मंदिरों में स्थाप-: न किये जाते थे ।
इस लेख के वाचन समम वाचक महोदय- पद्मासनासीन शान्तरसके विश्रोत एक परमयोगीकी प्रतिमा के देखेंगे, यह प्रतिमा उस जगत्पिताकी है कि जिसने अपने अशेष दुखको तिलाञ्जलि देकर संसार भरको अपने समान विद्वंद्व बनानेके लिये आत्मा मात्रको कल्याणका मार्ग बतायाथा, और अनादि कालीन अनंत जन्मोके परि दृढ बंधे हुए
Aho ! Shrutgyanam
t