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[६३] (ट्रॅक संप्रति महाराज) श्री वर्धमान स्वामी के पट्ट प्रभावक प्रथम श्री मुधर्म स्वामी पांचवें गणधर और पहले पट्टधर हुए। पचास वर्ष गृहस्थाश्रममें रह कर तीस वर्ष प्रभुकी सेवामें व्यतीत करके श्री बीरपरमात्माके निर्वाण बाद बारां वर्ष छद्मस्ध और आठ वर्ष केवली अ. वस्थामें सर्व आयुः सौ १०० वर्षका पूर्ण करके वीर प्रभुके निर्वाणसे वीस २० वर्ष के बाद मोक्षगामी हुवे ॥१॥ उनके पाटपर जंबुस्वामी बैठे । जंबुस्वामीने ९९ कोटि सोनामोहरे छोड अप्सरा जैसी आठ स्त्रियोंका त्याग कर माता पिताकी आज्ञा लेकर सिर्फ सोला १६ वर्षकी छोटी उमरमें बाल ब्रह्मचारी पणे सुधर्म स्वामी के पास दीक्षा अंगीकार की। जंबुस्वामीने १६ वर्ष गृहस्यभावमें-बीस २० वर्ष व्रतपर्यायमें ५४ वर्ष युग प्रधान पदमें सकल आयु ८. वर्षका भोगकर श्री महावीरस्वामीके निर्वाणके बाद चौसठवे (६४) वर्ष मोक्ष पाप्त किया । ।
श्री जंबुस्वामीके पाटपर श्री प्रभवस्वामी वि
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