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[ ५५ ] लग्नमे कर्णदेव गुजरातकी गादी पर बैठाथा, कर्णदेवकी एक मीनलदेवी नामक राणीथी जोकि कर्णाटकके राजा जयकेशीकी लडकीथी, उसकी कुक्षीसें सिंह स्वमसूचित एक लडका जन्माथा उसका नाम उन्होंने स्वप्नानुसार जयसिंह रखाथा. जयसिंहकों कर्णदेवने वि. सं. ११५० पौष कृश्न तृतीया-शनिवार श्रवण नक्षत्र और वृष लग्नमें सिंहासन पर बैठायाथा. और खुद कर्णराज कर्णावती नयी नगरी वसाकर रहने लगाथा. राज्यारोहण के समय जयसिंहकी अवस्था ३ वर्षकी थी. .
कर्णदेवने २९-वर्ष ८ मास-२१ दिन राज्य किया था । सिद्धराज जयसिंहने ११५० में तख्तनशीन होकर ११९९ तक राज्य किया।
सिद्धराज जयसिंहके अवसानका साल संवत् प्रबंधचिन्तामणिकारने नहीं लिखा । यहां हमने जो उल्लेख किया है सो " राजावलि कोष्टक और प्रभावक चरित्रके आधारसे किया है।
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