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इस बातको सुन कर श्री सोनीने फिर उसे लाख रुपये दिलवाये ।
ट्रंक - कुमारपाल भूपाल. सभ्य संसारको महाराज कुमारपालका परिचय दिलाना - सूर्यको दवा दिखानेकी उपमा है. कौन सा मनुष्य है जिसने इतिहासका थोडा बहुतभी ज्ञान प्राप्त किया हो । और कुमारपालसे अपरिचित हो ? परंतु हैं सृष्टिमें जैसे भी कतिपय मनुष्यकि जिन्होने अपने घरोंकी राम कहानियां सुन सुनही जीवनhi इतिश्री तक पऊंचा दिया है, उन विचारे प्रायः स्वसांप्रदायिक गोष्ठिप्रिय मनुष्यों की कर्णग aran इस कीर्त्तिमुदक यशस्वि राजाधिराजकी कथाका अंशभी उपकारी है, यह समझ कर सोलंकी कुल तिलक "उस त्रिभुवनपालक" महामंडलेश्वर-राजा कुमारपालका स्त्रला परंतु सर्व जनोपयोगि शब्दोंमे परिचय दिलाया जाता है.
प्रबंधचिन्तामणि से पता मिलता है कि वि.सं. १९२८ की चैत्र कृश्न सप्तमी सोमवार हस्तनक्षत्र और नमी
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