________________
[ ३५ ]
देश और धर्मकी रक्षा के लिये ६३ संाम किये।
(१३) तीर्थ यात्राएँ की । ।
( ४०० ) पानी पीने के स्थान बनवाये | जहां छाण कर पानी पिलाया जाता था
स्थंभनपुर में विचित्र युक्तियुक्त विविध रचना विशिष्ट ( ९ ) तोरण करवा ये जिनका निर्माण पाषाणसें हुआ हुआ था ।
( १००० ) तपस्वियों को उनकी योग्यताके अनुसार वर्षासन कायम कर दिये ।
वास्तु कुंभ वगैरह क्रिया के करनेवालों की भी (४०२४) वर्षासन बंधा दिये कि जिससे आनंदपूर्वक उनका निर्वाह होवे ।
अन्यान्य ग्रंथों में इनके सत्कायोंकों और तरइसे भी वर्णित किया है अर्थात् किसी किसी वस्तुका प्रमाण ज्यादा कमती भी लिखा है ।
[ देखो वस्तुपाल चरित्र श्री जैनधर्म प्रसारक सभा द्वारा मुद्रित ]
-->**---
Aho! Shrutgyanam