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[२८] शत्रुजय महातीर्थ के संघ काहनेका उपदेश दिया. अमात्य संघ लेकर पालीताणे गये आचार्य महाराजके सतत परिचयसें उनकी धर्म भावना और भी परिपुष्ट हो गई।
जब वह लौट कर पीछे आये तब गुर्जर पति वीरधवलने उन्हे अपने मंत्री पदपर प्रतिष्ठित कर लिया।
अनेक इतिहासकार लिखते हैं-कि-वनराजके पिता जयशिखरी के मारनेवाले कनोजके राजाभूवडने गुजरातकी राजधानी-जयशिखरो के मरनेके बाद अपनी लडकी मिल्लण देवीकी शादी के वक्त उसे उसके दायजेमें दे दीथी, मिल्लग देवी या. वज्जीव तक गुजरातकी आमदनी खाती रहो अंत्यमें मर कर उसी अपनी पूर्वभवती इष्ट राजधानीकी अधिष्टायक देवी हुई। उसने भाविकालमें म्लेच्छोंके आक्रमणसें गौर्जर प्रजाको बचाने के लिये वीर धवलको स्वममें आकर-वस्तपाल तेजपालको अपने अमात्य बनानेका उपदेश किया.
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