________________
[ ५३ ]
शेडके बनवाये मंदिरके ठीक मुकाबलेका मंदिर तामीर कर दिया । मंदिर क्या बनाया ? मानोस्वर्गका विमान नीचे उतारकर रख दिया है। आज भी देखकर दिल खुश खुश हो जाता है । जैसा विमलशाह शेठका बनवाया मंदिर अवर्णनीय शोभाशाली है वैसाही वस्तुपाल तेजपालका मंदिरभी निहायत लायक तारीफ - और - अकलीम है । छत्तों - रंगमंडपमें और - मेहराबों में ऐसी ऐसी कारीगिरी की है कि- जिसका बयान जुवानसें नहीं किया जा सकता! जो जो वेलबूटे --कमलफूल - पुतलियां - गुलदस्ते बनाये हैं अच्छे अच्छे दीमागवाले कारीगर देख देखकर ताज्जुब होते हैं ।
वस्तुपालके बनवाये मंदिरकी प्रतिष्ठा विक्रम संवत् १२८९ फाल्गुन सुदि ८ को हुईथी। यहां सा शाह शेठका बनवाया मंदिर भी संसार भरमें दृष्टान्त भूत है परंतु हमारा मतलब वस्तुपाल के बनवाये मंदिरसें ही है, क्योंकि हम वस्तुपालके सत्कार्यो का वर्णन कर रहे हैं.
वस्तुपाल तेजपाल चरित्र | कीर्त्तिकौमुदी -
Aho ! Shrutgyanam