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श्री दशलक्षण मण्डल विधान। ***************************************
___ बेसरी छन्द .. सब जीवन में राग न दोषा, सो है क्षमा धर्म निरदोषा। दुर्जन कृत उपसर्ग लहावै, ताहू पै समभाव रहावै॥ मुनिको वचन कहै दुखकारी, मरम छेद छेदै अघ धारी। मान खंड किरिया करवावै, तब मुनि क्षमा धर्म मन लावै॥ जे कोय दुष्ट मुनिनको मारे, तीक्ष्ण शस्त्रौं करि परिहारै। बांधे तनको खेद न पावै, तिनपर क्षमा धर्म मन लावै॥ अति दुखिया जिय को ऋषि जानै, तब मुनिअनुकंपामनआन। आपा परको हित उपजावै, तब मुनि क्षमा धर्म मन लावै॥ उत्तम क्षमा धरम सुखदाई, क्षमा धरम सब जियका भाई। जब मुनिहुपै कष्ट जु आवै, तब मुनि क्षमा धर्म मन लावै॥ क्षमा धरमसी ढाल न होई, क्रोध समान प्रहार न कोई। क्षमा समान न बल अति पावै, तातें जतो क्षमा वृष भावै॥ क्षमा धरम शिव राह बताई, क्षमा तात माता अरु भाई। जाते सिद्ध सुखनको पावै, ऐसी क्षमा मुनि मन लावै॥
सोरठा। क्षमा आभूषण सार, उर में जो पहिरे सही। ते भवसागर पार, जजौं धर्म उत्तम क्षमा॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमक्षमा-धर्माङ्गाय पूर्णायँ ।
॥ इति उत्तमक्षमाधर्म पूजा॥
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