Book Title: Dash Lakshan Vidhan
Author(s): Tekchand Kavi
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ श्री दशलक्षण मण्डल विधान । म सकलजीव सुखदाई, संयम जगत जीव बड़भाई । म जगत गुरुनिको प्यारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ ण संयम मुनिजन पावै, संयमतैं ही शिवमग धावै । म अघनाशन असिधारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ म मुकुट धर्मधर धारै, संयमतैं विषधर उर हारै । म जामन मरण निवारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ प्रम के सब दास बताये, संयम बिना जगत भरमाये । प्रम मोह सुभटको मारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ यम मनका जीतनहारा, संयम इन्द्रिय रोग निवारा । प बेलिको नाशनहारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ यम जग - विरक्त जिय भावै, संयमको मुनि जन जसगावै । यम धर्म बहू अघ जारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ यम भवसागर नवका सी, संयम धरि जिय शिवपुर जासी । यम कर्म कलंक निवारा, संयम है शिरताज हमारा ॥ दोहा [४३ Jain Education International संयम जगका बन्धु है, संयम मात रु तात । संयम भवभव शरण है, नमों 'टेक' अघ जात ॥ ॐ ह्रीं उत्तमसंयमधर्माङ्गाय पूर्णार्घ्यं नि. । इति उत्तम संयम धर्म पूजा । For Personal & Private Use Only *** www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76