Book Title: Dash Lakshan Vidhan
Author(s): Tekchand Kavi
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 54
________________ ५२ ] ** श्री दशलक्षण मण्डल विधान । ******* Jain Education International * उत्तम त्याग धर्म पूजा चौपाई | त्याग धरममें ममत न कोई, त्याग धरम सुरतरु अवलोई। वांछा त्याग धरममें नाहीं, सो वृष थापि जजों इस ठाहीं ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमत्यागधर्माङ्ग ! अत्र अवतर२ संवौषट् । अत्र तिष्ठर ठः ठः स्थापनं । अत्र मम सन्निहितो भवर वषट् सन्निधिकरणं । अथाष्टकम् । मयानंद की चाल नीर शुभ क्षीरदधि सार सो लाइजी । साधु चित तुल्य निर्मल सु मन भायजी ॥ कनक झारी भरी भक्ति मन लाइयो । त्याग धर्म जजौं स्वर्ग शिवदाइयो ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमत्यागधर्माङ्गाय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं नि । चन्दनादि गन्ध सार नीर में रलाइयो । अमर सौरभ थकी भक्ति भरवाइयो ॥ कनक पातर विषै धार ढरवाइयो । त्याग धर्म जजौं स्वर्ग शिवदाइयो ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमत्यागधर्माङ्गाय संसारतापविनाशनाय चंदनं नि. । तन्दुलं समुज्जवलं जु अक्षतं सुहायजी । खण्ड बिन सोहने विलोकि हलषायजी ॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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