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श्री दशलक्षण मण्डल विधान। ***************************************
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मार्दव धरम इन्द्र सुर पूर्जे, मार्दव धरम भजै अघ धूजै। मार्दव मान हरै सुखकारै, ताफल आप तिरै अनि तारै। मार्दव धरम महा नर ध्यावै, मार्दव धरम हानि नहिं पावै। यह मार्दव वृष शिव थल धारै,ताफल आप तिरै अनितारै॥ मार्दव सबको राखै माना, मार्दव सब धरमनि में दाना। मार्दव धरम जीव ले धारै, ताफल आप तिरै अनि तारै ।। मार्दव धरम सुरग सुख केरा, उपद्रव नाशि हरै भव फेरा। मार्दव उत्तम पुरुष सु धारै, ताफल आप तिरै अनि तारै॥ मार्दव मोक्षमार्गको दाता, मार्दव धर्म सकल जग त्राता। मार्दव वृष गुणवन्ता धारै ताफल आप तिरै अनि तारै ।। मार्दव धरम कल्पतरूभाई, मार्दव मनवांछित फलदाई। मार्दव धरम मुकुट जो धारै, ताफल आप तिरै अनि तारै॥ मार्दव धरम कनकमें मीना, मार्दव धारि सकै न कमीना। मान मार मार्दव वृष धारै, ताफल आप तिरै अनि तारै ॥ मार्दव वृष सब धर्म प्रधाना, मार्दव मोह मल्लको हाना। मार्दव माल पुरुष उर धारै, ताफल आप तिरै अनि तारै !!
दोहा मान मार मार्दव करै, हरै पाप मल सोय। जगत छुड़ावै शिव करै, ते भारक्षक होय॥
ॐ ह्रीं श्री उत्तम मार्दव धर्माङ्गाय अर्घ्य नि.।
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