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दिन होनेपरभी उसको ७० दिन कहनेका आग्रह करना ४. सो यह सब बाते सर्वथा शास्त्रकारों के विरुद्ध हैं.
अध पर्युषणा पर्व करने संबंधी ५० दिनोंकी गिनती करनेमें अधिक महीनेके ३० दिनोंको गिनती से छोड देनेका आग्रह करने के लिये कितनेक लोग शास्त्रविरुद्ध होकर कितनीक कुयुक्तिये करते हैं, उसके विषयमें थोडासा लिखते हैं ।
१- कल्पसूत्रादिमें आषाढ चौमासीसे दिनोंकी गिनतीसे ५० वे दिन अवश्यही पर्युषणापर्व (वार्षिक कार्य) करने कहेहैं, उसमें अधिक महीनेका १ दिनमात्रभी गिनती में नहीं छुट सकता.और ५०वें दिनकी रात्रिकोभी उलंघन करनानहीं कल्पताहै । जिसपरभी वर्तमामिक कितनेक लोग श्रावण भाद्रपद बढनेपर ८० दिने पर्युषणापर्व करतेहैं, सो शास्त्रविरुद्ध है, इसका विशेष खुलासा इसीही "बृहत्पर्युषणा निर्णय " ग्रंथकी आदिसे पृष्ट २७ तक देखो.
२-अधिकमहीनेके ३० दिन जैनशास्त्रों में गिनती में नहीं लिये, ऐसा कहते हैं सो भी शास्त्र विरुद्ध है, अधिक महीने के ३० दिनोंको दिनोंमें, पक्षामे, मासोंमें, वर्षों में और युगकी गिनती में खुलासापूर्वक गिनेहें,इसका विशेष खुलासा देखो इसी ग्रंथके पृष्ठ २८ से४८तक
३- अधिकमहीना काल चूलारूप है, सो गिनतीमें नहीं लेना ऐसा कहते हैं सो भी शास्त्र विरुद्ध है, निशीथचूर्णि, दशवैकालिक बृहद्वृत्ति वगैरह शास्त्रोंमें अधिक महीनेको काले चूलाकी शिखर रूप श्रेष्ठ, (उत्तम) ओपमादी है, और उसके ३० दिनोंको गिनतीमेंभीलिये हैं. इसकाभी विशेष खुलासा देखो इसी ग्रंथके पृष्ठ ४९ से ६५ तक । तथा पृष्ठ ७५ से ९१ तक. .
४- पर्युषणाकल्प चूर्णि तथा निशीथ चूर्णिके पाठसे दो श्रावण होवे तो भी.भाद्रपद्म पर्युषणापर्वकरनेका ठहरातेहैं, सोभी शास्त्रविरुद्धहै,दोनों चूर्णिके पाठामें अधिकमहीना पौष अथवा आषाढ होवे तब उसके३०दिनोंको गिनती में लेकर आषाढ चौमासीसे२० वें दिन श्रावणमें पर्युपणा पर्व करना लिस्खाहै, और अधिक महीना न. होवे तव ५० वें दिन भाद्रपदमें पर्युषणा करना लिखा है । और ५० वे दिनको उल्लंघन करनेवालोंको प्रायश्चित्त कहा है, इसलिये दोश्रावण होनेपरमी ८० दिने भाद्रपदमें पर्युषणा पर्व करना योग्य नहीं है। और अधिकमासके ३० दिन गिनती छोड देनाभी शास्त्र विरु
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