Book Title: Bhoj Charitra
Author(s): Rajvallabh, B C H Chabda, Shankar Narayanan
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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भोजचरित्रे भ्रामयित्वा गृहान् सर्वानानातीय चतुष्पथे । द्रव्यान्मश्रेष्ठिनं कश्चिद् दृष्ट्वाने स्थापितो नरैः ॥१६५।। वणिजो मुञ्जमापश्यन् हास्यं च कुरुते मुखात् । गृहीत्वा राज्यमस्माकमागतः पश्यतां श्रियम् ।।१६६।। एतद्वचनमाकर्ण्य प्रोचे सुञ्जनरेश्वरः । रे द्रव्यान्ध ! न जानासि गति कर्मण ईदृशीम् ।।१६७॥ यथाआपद्गतं हससि किं द्रविणान्ध ! मूढ़ !
लक्ष्मी स्थिरा न भवतीति किमत्र चित्रम् । एतम पश्यसि घटीजलयन्त्रचक्र"
रिक्ता भवन्ति' मरिता भरिताच रिक्ताः ॥१६॥ तो पुरी भ्रामयित्वा स शूलायामधिरोपितः।। कर्मणो गतिमालोच्य श्लोकं मुञः पठत्यमुम् ॥१६६।। यथाअघटितपरितानि "घटयति सुपटितघटितानि जर्जरीकुरुते । विधिरेव तानि “जनयति यानि पुमात्रैव चिन्तयति ॥२०॥ दासीसंसर्गतो मृत्यु विज्ञायासनमागतम् । तदा पुनः पपाठैकं श्लोकं जनमनोहरम् ॥२०१॥ यथा''
बेसा छंडी पहायिति जे दासी रचंति ।। ते किर मुंजनरिंद जिम परिमव घणा" सहति" ॥२०२॥ धारायां भोजभूपेन श्रुता वार्ता जनोक्तिभिः । शूल्यां तैलपदेनापि मुजभूपोधिरोपितः ॥२०३॥ क्वा तरुरेष महापनमध्यगः क्व च वयं नगतीपतिसूनवः । अघटमानविधानपटीयसो दुरवबोधमहो! चरितं विधेः ॥२०॥ करोटिर्मुञ्जभूपस्य दक्षिणाधिपसंसदि ।। मुच्यते दधिपूर्णा सा मच्यते वायसैस्ततः ॥२०॥
.-- ___ 1. Bi aud 112 श्रेष्ठिकस्यपि दृष्टयौ । १. भापस्य । 8. B1 गृहीतुं 1 4. P2 °नी; Bl, B and B ताम् । 5. Band 2 एता न । 6. P and Ri ad Bचके। 7. Pe and A भरस्ति । B. P तत्पु । ५. I. पिरों। 10. Instead of this stanga, A has : रेश्वर्यतिमिरं पक्षः पश्यतोऽपि न पश्यति । दरिबांजनयोगेन पुनविमलतां भजेत् ।। 11. pi, Pland 1जन। 18. P and Bl By And Bघट। 1. A नेव। 14. P and A onit this word 1 15. जौं। 16. गणा। 17. I.हमति। 18.81 यतः-पच त cte,

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