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तेरह
महाकाव्य के लेखक शासनस्तंभ मुनिश्री नत्थमलजी बागोर (मेवाड) गांव के निवासी थे। उनका संस्कृत भाषा का ज्ञान अनुपम था। आज वे विद्यमान नहीं हैं। मुझे उनकी कृति का संपादन कर परम हर्ष का अनुभव होता है और यही मेरे द्वारा उनको दी गई भावाञ्जलि है।
___ इस संपादन कार्य में मुझे मुनि राजेन्द्रकुमारजी तथा पंडित विश्वनाथजी का सहयोग मिला, इसके लिए मैं उनको हार्दिक धन्यवाद देता हूं।
१ अप्रैल, १९९७
मुनि दुलहराज