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भाषाभास्कर
४८ ङ ज ण न म ये अपने २ वर्गों के स्थान और नासिका से भी बोले जाते हैं इसलिये ये सानुनासिक कहाते हैं ॥
४६ जिन अक्षरों के स्थान और प्रयत्न समान होते हैं वे आपस में सवर्ण कहाते हैं जैसे क और ग का स्थान कण्ठ है और इनका समान प्रयत्न हे इस कारण क ग आपस में सवर्ण कहाते हैं। नीचे के दो चक्रों से वर्णमाला के सब अक्षरों के स्थान और प्रयत्न ज्ञात होते हैं । ५०
__ स्वर चक्र
'विवृत और घोष प्रयत्न स्थान
दीर्घ
स्थान कण्ठ
कण्ठ + तालु तालु
कण्ठ + तालु कण्ठ + आठ
कण्ठ + आष दन्त
व्यंजन चक्र अघोष घोष
अघोष
ओष्ठ
स्थान
IMInter
IMIMhA
सानुनासिक
अल्पप्राण अन्तस्थ
महाप्राण ऊष्म
महाप्राण ऊष्म
कवगे
कण्ठ
42 अल्पप्राण 420| महाप्राण
DIDhes FNNER
चवर्ग
PCPM
तालु मद्धा दन्त
तत्रगे
।
न
।
पवर्ग
आठ
इति प्रथम अध्याय ।
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