Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 116
________________ भाषाभास्क राम छन्द । (१०) जिसके आदि के दो ह्रस्व हों और अन्त के दे। गुरु हों । जग माहीं । सुख नाहीं । तति कामें । भनि रामै ॥ नगन्निका छन्द | (११) जिस में एक गुरु और एक लघु हे|वे ॥ प्रसिद्ध हो। अघनिका । नगिद्ध हो । नगन्निका ॥ कला छन्द | (१२) उसे कहते हैं जिसके अन्त में गुरु और मध्य में लघु होवे ॥ धीर । । अनु हो । नन्दलला । कामकला ॥ अब a वृत्त लिखे जाते हैं जिनकी गिनती वर्ण से होती है ॥ (4) अब उन वर्णवृत्त का नाम कहते हैं जिन में चारों पाद तुल्य होते हैं ॥ (२) एक गुरु का श्रीछन्द होता है || 30 || वागदेवी हैं ॥ (३) दो गुरु का क.मा ॥ 30 ॥ रामाकृष्ण ॥ (8) एक गुरु और एक लघु का मही छन्द होता है ॥30॥ हरे हरे ॥ (५) दो लघु का मधु छन्द होता है || उ० ॥ हरि हरि ॥ (६) आदि गुरु और अन्त लघु का सार छन्द होता है ॥ 영 ବ रामकृष्ण ॥ एक मगण का तानी छन्द होता है ॥ उ० ॥ कन्हाई सेा भाई ॥ छन्द होता है ॥ उ० ॥ प्रेम सों पां गिरों ॥ छन्द होता है ॥ उ० ॥ छन्द होता है ॥ उ० ॥ एक तगण का पञ्चल छन्द होता है ॥ उ० ॥ (0) (=) एक रगण का मृगी (ह) एक यगण का शशी (१०) एक सगण का रमण ( ११ ) (१२) एक नगण का कमल छन्द होता है ॥ 30 ॥ कमल कुमुद ॥ (१३) एक मगण और एक गुरु का तीन छन्द होता है । जे गोविन्दा ने गोविन्दा ॥ ge (१४) एक रगण और एक लघु का धारी छन्द होता है ॥ नन्दलाल कंसकाल ॥ ८० Scanned by CamScanner भवानी सुहानी ॥ विधु की रजनी ॥ या सर्व संसार ॥

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