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भाषाभास्कर
(४०) दो भगण और दो गुरु का चित्रयहा छन्ट होता है । 3. दीनदयाल जु देवा में न करी प्रभु सेव! || (४१) तीन रगण का महालक्ष्मी छन्द होता है ॥ 3. राधिका बल्लवं भजेई ले छिनी इन्द्र से पारले ॥ (४२) एक नगण और एक यगण और एक सगण का सारं गक छन्द
होता है। उ० हरि हरि केशो कहिये सब सुख साग लहिये । (४३) एक मगण और एक भगण और एक सग क प ईता छन्द
होता है ॥ उ० आये प्राली जलद समेो केकी कजे जिय भामे ॥ (४४) दो नगण और एक सगण का कमला छन्द हेता है ॥ उ० कमल सरस नयनी शशि मुखि पिक वानी ॥ (४५) एक नगण और एक सगण और एक यगगा का बिम्ब छन्द
होता है। ठ० तुलसि बन केलिकारी सकल जन चित्तहाग । (४६) एक सगण दो जगण का तोमर छन्द होता है । 30 नवनील नीरदश्याम शुकदेव शोभान नाम ॥ (४०) तीन मगण का रुपमाली छन्द होता है ॥ 3. अंगा वंगा कालिंगा काशी गंगा सिन्ध संगामा भासी । (४८) एक सगण और दो जगह और एक गुरु का संयुत छन्द होता है। ठ० हरि कृष्ण केशव वामना वसुदेव माधव पावना ॥ (४) एक भगण और एक मगण और सगण और गुरु का चंप
कमाला छन्द होता है ॥ 30 कंसनिकन्दा केशव कृष्णा वामन माथे। मोहन विष्णा । (५०) तीन भगण और एक गुरु का सारवती छन्द होता है। ठ० राम रमापति कृष्ण हरी दोनन के सुविपत्ति हरी ॥ (५५) एक तगण और एक यगण और एक भगण और एक गुरु का
सुखमा छन्द होता हे ।। . राधा रमना बाथा हरना साधे। शरनः माधो चाना।
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