Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 21
________________ भाषाभास्कर सत् सत् उत जगत् पशुवत् + गामी = पशवगामी उत् + घाटन = उद्घाटन महत + धनुष = महद्धनुष भविष्यत् + वाणी = भविष्यवाणी + वंश = सदंश प्रानन्द- सदानन्द + अय = उदय सत् + आचार = सदाचार जगत् + इन्द्र = जगदिन्द्र + ईश = जगदीश सत् + उत्तर = सदुत्तर महत् + आज = महदोज महत् + औषध = महदोषध ०३ अनुस्वार से परे जब अन्तस्थ वा ऊष्म वर्ण रहता हे तो अनु स्वार का कुछ विकार नहीं होता । यथा सं + यम = संयम सं + वाद = संवाद सं + लय = संलय सं + हार = संहार ०४ यदि अन्तस्थ और ऊष्म को छोड़कर किसी वर्ग का वर्ण अनु. स्वार से परे रहे तो अनुस्वार को उसी वर्ग का सानुनासिक वर्ण हे' जाता है। जैसे अहं + कार = अहङ्कार सं + गम = सङ्गम किं + चित = किञ्चित सं +चय = सञ्जय सं +तोष = सन्तोष सं + ताप = सन्ताप सं + पत = सम्पत । Scanned by CamScanner

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