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भाषाभास्कर
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१५८ मध्यम पुरुष तू शब्द । कारक।
एकवचन । बहुध वन । कत्ता * तू वा तू ने तुम वा तुम ने वा तुम्हें ने कर्म
तुक को वा तुझे तुमको तुम्हें वा तुम्हों को करण तुझ से
तुम से वा तुम्हों से सम्प्रदान तुझ को तुझे तुमको तुम्हें तुम्हों को अपादान तुझ से
तुम से वा तुम्हों से सम्बन्ध
तेरा-रे-री तुम्हारा-रे-री अधिकरण तुझ में
तृम में वा तुम्हों में सम्बोधन
हे तुम ॥
अन्य पुरुष सर्वनात । १५९ अन्य पुरुप सर्वनाम दो प्रकार का है एक निश्चः वा 1 और . दूपरा अनिश्चयवाचक । निश्चयवाचक भी दो प्रकार का होता है अर्थात यह और वह निकटवर्ती के लिये यह और दूरवर्ती के लिये वह है ॥ .
१६० निश्चयवावक यह।
कारक । कती कर्म
करण
सम्प्रदान अपादान सम्बन्ध अधिकरण
एकवचन । बहवचन । यह वा इस ने ये वा इन ने वा इन्हों ने इस को वा इसे इन को वा इन्हें वा इन्हों को . इस से इन से वा इन्हें। से इस को वा इसे इन को इहें वा इन्हें। को इस से
इन से वा इन्हों से इस का-के-की इन का वा इन्हों का-के-की इस में
इन में वा इन्हीं में ॥ १६१ निश्चयवाचक वह ।
* त वा तें और उन वा विन और जो वा जोन यह केवल देश भेद से उच्चारण की विलक्षणता है ॥
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