Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 48
________________ भाषाभास्कर ४३ १०४ श्राप शब्द के पर्वोक्त रूप उत्तम मध्यम और अन्यपुरुष में श्रा जाते हैं और एकवचन का प्रयोग बहुवचन में होता है। जिस सर्वनाम के आगे वे आते हैं उसके सम्बन्धवान विशेषण समझे जाते हैं । जेसे में अपना काम करता हूं तू अपनी बोली नहीं समझता है वे अपने घर गये हैं इत्यादि ॥ १८५ आपस यह परस्परबोधक नियमरहित सूप आप शब्द से बना हुआ है प्रायः इसके सम्बन्ध और अधिकरण कारक उत्तम मध्यम और अन्य पुरुषों में आया करते हैं। जैसे आपस की लड़ाई में आपस का मेल हम आपस में परामर्श करेंगे तुम लोग आपस में क्या कहते हो ॥ प्रश्नवाचक सर्वनाम कौन शब्द ।। __ १०६ प्रश्नवाचक सर्वनाम कौन शब्द का कारक के दोनों वचनों मे ज्यों का त्यों बना रहता है पर शेष कारकों के एकवचन में कौन को किस और बहुवचन में किन वा किन्ह आदेश करके उनके आगे विभक्त लाते हैं। जैसे कारक । एकवचन। बहुवचन । कौन किसने कौन किन ने कर्म किस को किसे किन को किन्हें करण किस से किन से सम्प्रदान किस को किसे किन को किन्हें अपादान किस से किन से सम्बन्ध किस का-के-की किन का-के-की अधिकरण किस में किन में॥ १०० कौन शब्द के समान क्या शब्द भी प्रश्नवाचक है पर उसकी कारकरचना न होने के कारण उसे अव्यय कहते हैं और वह विशेषण के तुल्य आया करता है। जैसे क्ग बात क्या ठिकाना क्या कहंगा ॥ १०८ कौन और क्या ये प्रश्नवाच्य अकेले आवें तो कोन शब्द से प्रायः मनुष्य समझा जायगा और क्या शब्द से अनाणिवाचक का बोध होगा। जैसे कौन है अर्थात कोन मनुष्य है किस (मनुष्य ) का है किन ने किया क्या है अर्थात क्या वस्तु है क्या हुआ क्या देखा इत्यादि। कती Scanned by CamScanner

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