________________
भाषाभास्कर
के लगाने से बनती है । जैसे चुरिहारा दूधवाला कृतिया मखनिय इत्यादि ॥
३२४ ३ भाववाचक संज्ञा और संज्ञा से इन प्रत्ययों के लगाने से बनती हैं जैसे आई ई त्व ता पन पा वट हट । उनके उदाहरण ये है चतुराई बोआई लड़काई लम्बाई मनुष्यत्व स्त्रीत्व उत्तमता मित्रता बालकपन बुढ़ापा बनावट कड़वाहट चिकनाहट इत्यादि ॥
३२५
४ जनत्राचक संज्ञा प्रायः आ कोई आदेश करने से हो जाती है । जैसे रस्सा रस्सी गोला गोली लड़का लड़की टेकड़ा टेकड़ी डाला डाली इत्यादि ॥
३२६ कहीं २ अक वा इया के लगाने से भी ऊनवाचक संज्ञा बनती है । जैसे मानव मानवक वृक्ष वृक्षक खाट खटिया डिब्बा डिबिया आम अंबिया इत्यादि ॥
३२०
५ गुणवाचक संज्ञा तद्धित की रीति से उत्पन्न होती है नीचे के प्रत्ययों के लगाने से । जैसे
आ–ठण्ढ ठगढ। प्यास प्यासा भूख भूखा मैल मेला इत्यादि ॥ इक—यह प्रत्यय प्रायः संस्कृत गुणवाचक संज्ञाओं का है । संज्ञा के पहिले अक्षर का स्वर वृद्धि से दीर्घ करके इक लगाते हैं जैसे प्रमाण से प्रामाणिक शरीर से शारीरिक संसार से सांसारिक स्वभाव से स्वाभाविक धर्म से धार्म्मिक हुआ है ॥
इत—आनन्द आनन्दित दुःख दुःखित क्रोध क्रोधित शेक शेकित ॥ इय वा इया - समुद्र समुद्रिय झांझझिया खटपट खटपटिया ॥ ई - ऊन ऊनी धन धनी धर्म धर्मी भार भारी बल बली ॥
ईला एला वा ऐला-सज सजीला रंग रंगीला घर घरेला बन बनेला ॥
लुलू वाल - दय। दयालु झगड़ा झगड़ालू कृपा कृपाल ॥
बन्त - कुल कुलवन्त बल बलवन्त दया दयावन्त ॥ वान–आशा आशावान क्षमा क्षमावान ज्ञान ज्ञानवान रूप रूपवान ॥
इति तद्धितप्रकरण ॥
Scanned by CamScanner