Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 108
________________ माषाभास्कर १०३ अंक घट सकता हो तो उसे घटा दे फिर उस अंक की अगली और पिछली कलाओं को मिलाकर नीचे गुरु लिख दे और फिर जब निश्शेष 'न हो और कुछ शेष बचता जाय तो ऐसे ही जा पूर्व का अंक हो और वह घट सके तो घटा दे और उसके आगे पीछे की कलाओं को मिला दे और उसके नीचे गुरु लिख दे इसी प्रकार जब तक निश्शेष न होय तब तक लिखता और ऐसा करता चला जाय तो अभीप्सित प्रस्तार निकल आवेगा। जैसे १२३ ५ ८१३ यहां अन्तिम संख्या १३ हे इस में घटाया तो बचे ५ में पूर्व का अंक ५ घटा दिया तो निश्शेष हो गया तो ऐसा रूप हुआ जैसे ।।। ऽ । यदि किसी ने छठा रूप पूछा तो अन्तिम संख्या १३ में गये छ रहे ० इस में पूर्व अंकों में ५ घट सकता है इस से उसे घटा दिया रहे २ इस में पूर्व अंक जो २ उसे घटाया तो १२ ३५ ८१३ निश्शेष हो गया अब इसका रूप ऐसा हुआ । जेसे " हुआ। जस ।। ।। । इसे इकठ्ठा कर लिया तो ऐसा । । हुआ ऐसे ही और भी जानो छ मात्रा के प्रस्तार के आठवें रूप का यह चित्र है। और छठे रूप का चित्र यह है। १२३ ५ ८ १३ रूप | १ २ ३ ५ ८ १३ १ २ ३ ५ ८१३ - । । । मेल फल ।।। । । । । फल अब एक वर्ण से लेकर पचास वर्ण पर्यन्त जिनके एक चरण होते है उनके प्रस्तार के निकालने की रीति यह है। Scanned by CamScanner

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