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(१३)
लघु
जिस वृत्त में जितने वर्ण एक चरण में रहें उन्हें दूना करे और गुरु को पलट देवे अर्थात उत्तरोत्तर दो से गुणा कर अंकों को दुगुणा करता चला जाय इस रीति से जितनी मात्रा लघु होंगी उसकी आधी गुरु और गुरु की दुगुनी लघु मात्रा हे वेंगी ऐसे जितने जिसके प्रस्तार हैं वे सब प्रत्यक्ष हो जावेंगे । जैसा आगे के चक्र में लिखा है #
छन्द
३
४
५
६
०
C
ع
१०
૧૧
१९
१३
१४
१५
१६
१०
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माषाभास्कर
प्रस्तार
20
४
८.
१.६
३२
६४
심
१२८
छन्द
१६३८४
१६
२०
२५६
५१२
१०२४
२०४८
४०६६ ३२
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२६
२८
२६
१३१००२
२६२१४४
३०
३१
८१६२ ३३
Immmm
३४
३२०६८ ३५
६५५३६ ३६
३८
प्रस्तार
५२४२८८
१०४०५०६
२०६०१५२
४१६४३०४
८३८८६०८
१६०००२१६
३३५५४४३२
६०१०८८६४
१३४२१००२८
२६८४३५४५६
५३६८००१२
१०९३०४१८२४
२१४०४८३६४८
४२६४६६०२६६
८५८६६३४५६२
१०१०६०६६१८४
३४३५६०३८३६८
६८०१६४०८०३६
१३०४३८६५३४६२
२०४८००६०६६४४