Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 109
________________ १०४ (१३) लघु जिस वृत्त में जितने वर्ण एक चरण में रहें उन्हें दूना करे और गुरु को पलट देवे अर्थात उत्तरोत्तर दो से गुणा कर अंकों को दुगुणा करता चला जाय इस रीति से जितनी मात्रा लघु होंगी उसकी आधी गुरु और गुरु की दुगुनी लघु मात्रा हे वेंगी ऐसे जितने जिसके प्रस्तार हैं वे सब प्रत्यक्ष हो जावेंगे । जैसा आगे के चक्र में लिखा है # छन्द ३ ४ ५ ६ ० C ع १० ૧૧ १९ १३ १४ १५ १६ १० - Scanned by CamScanner माषाभास्कर प्रस्तार 20 ४ ८. १.६ ३२ ६४ 심 १२८ छन्द १६३८४ १६ २० २५६ ५१२ १०२४ २०४८ ४०६६ ३२ २१ २२ २३ २४ २५ २६ २६ २८ २६ १३१००२ २६२१४४ ३० ३१ ८१६२ ३३ Immmm ३४ ३२०६८ ३५ ६५५३६ ३६ ३८ प्रस्तार ५२४२८८ १०४०५०६ २०६०१५२ ४१६४३०४ ८३८८६०८ १६०००२१६ ३३५५४४३२ ६०१०८८६४ १३४२१००२८ २६८४३५४५६ ५३६८००१२ १०९३०४१८२४ २१४०४८३६४८ ४२६४६६०२६६ ८५८६६३४५६२ १०१०६०६६१८४ ३४३५६०३८३६८ ६८०१६४०८०३६ १३०४३८६५३४६२ २०४८००६०६६४४

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