Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 107
________________ १०२ माषाभास्कर प्रश्नकता के कहे हुए अंक तक पहुंचे तब बस करे । जेसे आठ वर्ण के प्रस्तार में तीसरा रूप कौन है तो ३ विषम हे इस से एक गुरु ले लिया एक और जोडा ४ हुए आधा किया २ हुए सो सम हे एक लघु लिखा आधा किया ९ रहा सो विषम एक गुरु लिखा और एक जोड़ दिया तो २ हुए आधा किया १ रहा विषम है एक गुरु लिखा एक जोड़ा २ हुए आधा किया १ रहा सो विषम है इस हेतु एक गुरु लिखा एक जोड़ा इसी प्रकार जब तक आठ वर्ण परे न हुए तब तक लिखते गये ते। ऐसा रूप हुआ। जैसे । 55ssss उद्दिष्ट अर्थात जब कोई रूप लिखकर पछे कि यह काथा रूप है तो उसके बताने को रीत ॥ (११) जब कोई पूछे कि असुक रूप कोथा है तो उसके ऊपर द्विगुण अंक लिख दे और लघु के ऊपर के अंक में एक मिला दे फिर जितना हो उसे ही उसका रूप जाने । जैसे किसी ने पूछा कि १२ ४ ८ १६ ३२ २९ काथा रूप है तो लघु के ऊपर दो अंक है अर्थात ।। 55 २ और ८ इन का योग किया तो हुए १० इस में एक मिलाया तो हुए ११ इस से जाना कि छ वर्ण के प्रस्तार में यह ग्यारहवां रूप हुआ इसे क्रिया करके उद्दिष्ट की विधि से मिलाया चाहे तो ग्यारह विषम है इससे गुरु लिखकर उस में एक जोड़ दिया १२ हुए आधा किया ६ रहे तब लघु लिखा आधा किया तो ३ रहे विषम है गुरु लिखा १ मिलाया ४ हुए आधा किया २ रहे सम हे लघु लिखा फिर आधा किया १ रहा विषम हे गुरु लिखा एक जोड़ा २ हुए आधा किया सम हे लघु लिया इसी प्रकार छ वर्ण तक करते गये तो भी वही रूप निकला । जेसे । अब उन वृत्तों के प्रस्तार का नियम लिखा जाता है जो मात्रा से बनते हैं ॥ (१२) प्रश्नकती जितनी मात्रा का प्रश्न करे उतनी मात्रा लिखले और उनके ऊपर पूर्व से युग्मांक लिखता जाय फिर चौथा रूप पूछा गया हो उस संख्या का अंत के अंक में घटा दे जो शेष रहे उस में यदि पर्व Scanned by CamScanner

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