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भाषाभास्कर
षष्ठ अर्थात सम्बन्ध कारक ।
____३०६ जिस कारक से स्वत्व स्वामित्व प्रकाशित होत है उरे सम्बन्ध कहते हैं । सम्बन्ध में छठा कारक होता है । जेसे साना की सेना पण्डित का पत्र लड़के के कपड़े इत्यादि ॥
३१० कार्य कारण में भी सम्बन्ध होता है। जैसे बाल की भीत सोने के कड़े चांदी की डिबिया मिट्टी का घड़ा पृथिवी का खण्ड । __ ३११ तुल्य समान सदृश आधीन आदि शब्द के योग में सम्बन्त कारक होता है । जैसे यह उसके तुल्य नहीं है पृथिवी गेंद के समान गोल है उसका मुंह चांद के सदृश है मैं आज्ञा के अनुसार सब कुछ करूंगा स्त्रियों को चाहिये कि अपने २ पति के आधीन रहें ॥
३१२ कर्तृकर्मभाव सेव्यसेवकभाव जन्यजनकभाव और अंगांगिभाव में सम्बन्ध कारक होता है। जैसे तुलसीदास का रामायण बिहारी को सतसई महाराजा की सेना रानी की बेटी सिर का बाल हाथ की उंगली इत्यादि ।
३१३ परिमाण मल्य काल वयस योग्यता शक्ति आदि के प्रकाश करने में सम्बन्ध कारक होता है। जैसे दो हाथ की लाठी बड़े पाट की नदी कोस भर की सड़क बारह एक बरस की लड़की यह तीस बरस की बात है यह कहने के योग्य नहीं है यह राज्य अब ठहरने का नहीं है ॥
३१४ समस्तता भेद समीपता आधीनता आदि के प्रकाश करने में । सम्बन्ध कारक होता है। जैसे खेत का खेत सब के सब आकाश और पृथिवी का भेद में उसके घर के समीप गया ॥ __३१५ केवल धातु वा भाववाचक के प्रयोग में सकर्मक क्रिया के फर्म को सम्बन्ध कारक हे ता है। जैसे रोटी का खाना गांव की लूट ॥
सप्तम अथोत अधिकरण कारक । ३१६ क्रिया का जे। आधार है उसे अधिकरण कहते हैं। अधिकरण में सप्तम कारक बोलते हैं। जैसे वह घर में है पेड़ पर पक्षी हे वह नदी तीर पे खड़ा है ।
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