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भाषाभास्कर
पदयोजना का कम। ३६० साधारण रीति यह है कि वाक्य के आदि में कला और अंत में क्रिया और यदि और कारकों का प्रयोजन पड़े तो उन्हें कता और क्रिया के बीच में लिखा। जैसे स्त्री सूई से कपड़ा सोती है कपोत अपनी
चांच से दानों को बीन २ कर खाता है ॥ . ३६१ जो पद कती से सम्बन्ध रखते हैं उन्हें कता के निकट रखा
और क्रिया के साथ जिसका सम्बन्ध हो उसे क्रिया के संग लगाओ। जेसे मेरा घोड़ा देखने में अति सुन्दर है बुड्डा माली पेड़ों से प्रतिदिन फल तोडता है। __३६२ यदि वाक्य में कती और क्रिया को छोड़कर और भी संज्ञा वा विशेषण रहें और उनके साथ दूसरे शब्दों के लिखने की आवश्यकता पड़े तो जो पद जिस से सम्बन्ध रखता हो उसे उसके संग जोड़ दो। जेसे ग्रामीण मनुष्य नागौरी बेल के समान परिश्रमी होते हैं दरिद्र मनुष्य को कंकरेली धरती ही रेशमी बिछौना है। ___ ३६३ गुणवाचक शब्द प्रायः अपनी संज्ञा के पूर्व और क्रियाविशेषण क्रिय. के पूर्व आता है । जैसे बड़ी लकड़ी बहुत कम मिलती है मे.टी रस्सी बड़ा बोझ भली भांति सम्भालती है ॥ ____३६४ पूर्वकालिक क्रिया उस क्रिया के निकट रहती जिस से वाक्व समाप्त होता है। जैसे लड़का आंख मंदकर सोता है ब्राह्मण पलथी बांधकर रोटी खाता है॥ . ३६५ अवधारण विशेषता वा छंद की पूर्णता के लिये सब शब्द निन स्थान को छोड़ कर वाक्य के दूसरे २ स्थानों में आते हैं। जैसे
सिया सहित रघुपति पद देखी।
करि निज जन्म सुफल मुनि लेखी॥ ३६६ प्रश्नवाचक सर्वनाम को उसी स्थान पर रखना चाहिये जिसके बिषय में मुख्यता पूर्वक प्रश्न रहे और यदि वाक्य ही पूरा प्रश्न हो तो उसे पाक्य के आदि में लिखना चाहिये । जेसे क्या यह वही है जिसे तुमने देखा था यह कोन पुस्तक हे उसे किसे दोगे यह क्या करती हे इत्यादि ॥
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