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अधिक अतिशय
कभी कभी
जहां जहां
भाषामा स्वर
३३३ कई एक क्रियाविशेषण के अंत में निश्चय बनाने के लिये ही वाहीं लाते हैं । जैसे अभी तभी कभी नभी यहीं वहीं । कई एक दे|हराकर बे|ले जाते हैं और बहुधा अनेक क्रियाविशेषण एक साथ आते हैं । जैसे
बेर बेर
कहीं कहीं
बहुत प्रायः
तनिक
इत्यादि
अब तक
कब तक
कभी नहीं
ऐसा वैसा
अब तब
ज्यों ज्यों अनिश्चय जनाने को दो समान अथवा असमान क्रियाविशेषण के मध्य में न लगा देते हैं । जैसे
३४०
कहीं न कहीं
जब न तब
३४१
कभी न कभी कितने एक क्रियाविशेषण हैं जो संज्ञा के तुल्य विभक्ति के साथ आते हैं। जैसे कि इन उदाहरणों में यहां की भूमि अच्छी है अब की बेर देख लूं मैं उधर से आता था यह आज का काम है कि कल का ॥
जहां कहीं
जब कभी कहीं नहीं और कहीं
त्यों त्यों
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३४२ गुणवाचक संज्ञा भी क्रियाविशेषण हो जाती हैं जैसे इसका धीरे धीरे सरकाओ पेड़ों को सीधे लगाते जाओ। वह अच्छा चलता है
वह सुन्दर सीती है ॥
G
३४३ बहुतेरे अव्यय शब्दों के साथ करके पूर्वक से आदि के लगाने से क्रिया विशेषण हो जाते हैं । जैसे इन वाक्यों में एक राजाने विनय पूर्वक फिर कहा आलस्य से काम करता है बा राजा बुद्ध से चलता है वह सुख से राज्य करता है ॥
२ सम्बन्धमूचकं ।
३४४
सम्बन्धसूचक अव्यय उन्हें कहते हैं जिस से बोध होता है कि संज्ञा में और वाक्य के दूसरे शब्दों में क्या सम्बन्ध है । वे दे। प्रकार के हैं पहिले वे जिनके पूर्व संज्ञा की विभक्ति नहीं आती। जैसे ग्रह