Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

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Page 78
________________ भाषाभास्कर संयुक्त क्रिया के विषय में। २५० हिन्दी में अनेक क्रिया होती हैं जो और क्रियाओं से मिलके पाती हैं और नवीन अर्थ को उत्पन्न करती हैं ऐसी क्रियाओं को संयुक्त क्रिया कहते हैं। संयुक्त क्रिया में प्राय: दो भिन्न क्रिया होती हैं परंतु कहीं कहीं तीन २ आती हैं । २५१ चेत रखना चाहिये कि संयुक्त क्रिया के आदि की क्रिया मुख्य है उसी से संयुक्त क्रिया का अर्थ समझा जाता है और उसी के अनुसार संयुक्त क्रिया अकर्मक वा सकर्मक जानी जाती है ॥ __ २५२ संयुक्त क्रिया नाना प्रकार की हैं पर उनकी मुख्य क्रिया को मान करके उनके तीन भाग किये हैं। पहिला भाग वह है जिस में आदि की क्रिया धातु के रूप से आती है। दूसरा भाग वह है जिस में आदि की क्रिया सामान्यभत के रूप से रहती है। और तीसरा भाग वह है जिस में प्रादि की क्रिया अपने साधारण रूप से होती है ॥ २५३ पहिले उन्हें लिखते हैं जिन में मुख्य क्रिया धातु के रूप से पाती हे वे तीन प्रकार की हैं अर्थात अवधारणबोधक शक्तिबोधक और पूर्णताबोधक । २५४ १ अवधारणबोधक-आना उठना जाना डालना देना पड़ना बेठना रहना लेना ये सब और क्रियाओं के धातु से मिलके आती हैं। देना और लेना अपने २ धातु से भी मिलके आती हैं। जैसे देख-आना गिर-पड़ना बोल-उठना मार-बैठना खा -जाना हो -रहना काट-डालना पढ़-लेना रख -देना दे - देना चल-देना ले - लेना २५५ २ शक्तिबायक-सकना क्रिया परतंत्र कहाती है इस कारण कि वह अकेली नहीं पाली पर और क्रियाओं के धातु से मिलके शक्तिबाधक हो जाती है। जैसे Scanned by CamScanner

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