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भाषाभास्कर
२४४
प्राय: तीन अक्षर की सकमेक और प्रेरणार्थक क्रिया ऊपर की रीति के अनुसार बनाई जाती है परंतु सकर्मक के बनाने में दूसरा अक्षर हल हो जाता है अर्थात उसके स्वर का लोप होता है । जैसे
कर्मक
कर्म |
प्रेरणार्थक |
घूमना
जागना
जीतना
* चमकाना
पिघ्लाना
बिथ् राना
चमकना
पिघलना
बिथरना
भटकना
भट्काना
सरकना
सकाना
लटकना
लट्काना
२४५
यदि दो अक्षर का अकर्मक धातु हो और उनके बीच में दीर्घस्वर रहे तो उसे ह्रस्व करके आ और वा मिला देने से सकर्मक और प्रेरणार्थक क्रिया बनती है । जैसे
कर्म ।
सकर्मक
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चमकवाना
पिघलवाना
बिथरवाना
भटकबाना
सरकवाना
लटकवानां
घुमाना
जगाना
जिताना
डुबाना वा डबाना
भिगाना वा भिगोना
प्रेरणार्थक
घुमवाना
जगवाना
जितवाना
डुबवाना
भिगवाना
लिटवाना
डूबना
भीगना
लेटना
लिटाना
२४६
कई एक सकर्मक और कई एक अकर्मक धातु हैं जिनका स्वर ह्रस्व करके ला और लवा लगाने से द्विकर्मक और प्रेरणार्थक बन जाती हैं । यथा
कर्म |
पीना
देना
धोना
૦૧
द्विकर्मक |
पिलाना
दिलाना
धुलाना
*इन में हल का लक्षणं लिखा है परंतु लिखनेवाले की इच्छा है चाहे लिखे चाहे न लिखे
प्रेरणार्थक |
पिलवाना
दिलवाना
धुलवाना