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भाषाभास्कर
वह देखा जावेगा वा जायगा वे देखे जावेगे वा जायेंगे
स्त्रीलिङ्ग में देखी जाऊंगी
हम देखी जावेंगी वा जायेगी त देखी नावेगी वा जायगी तुम देखी जाओगी वा जावोगी
वह देखी जावेगी वा जायगी वे देखी जावेंगी वा जायेगी २३६ कह आये हैं कि सामान्यभूत काल की क्रिया बनाने की यह रीति है कि हलन्त धातु के एकवचन में आ और बहुवचन में ए लगा देते हैं परंतु एक हलन्त धातु की क्रिया है अर्थात करना और पांच स्वरान्त धातु की क्रिया हैं अर्थात देना पीना लेना होना और जाना जिनकी भूतकालिक क्रिया पूर्वोक्त साधारण रीति के अनुसार बनाई नहीं जाती उनकी आदरपूर्वक विधि और परोक्षविधि क्रिया भी साधारण रीति के अनुरोध नहीं होती इस कारण उन्हें नीचे के चक्र में एकच लिख देते हैं।
सामान्यभत काल । साधारणरूप| एकवचन । बहुवचन पादरपूर्वकविधि परोक्ष विधि
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग करना
कीजिये कीजियो देना | दिया दीदिये दी | दीजिये । दीजियो पीना
पिया पी पिये | पी | पीजिये । पीजियो लेना
लीजिये लीजियो होना हा
हूजिये जाना गया| गई गये | गई
२३० जान पड़ता है कि संस्कृत धातु कृ के कुछ विकार करने से हिन्दी की दो एकार्थक क्रिया निकली हैं अर्थात कीना और करना इन के सामान्यभूत और आदरपूर्वक विधि क्रिया ये हैं ॥
करना का सामान्यभूत करा आदरपूर्वक विधि करिये कीना , , किया है , कीजिये
काश
ता
लिया
हजियो
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