Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Author(s): Ethrington Padri
Publisher: Ethrington Padri

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ भाषाभास्कर *राना सीना सिलाना सिलवाना सीखना सिखाना सिखवाना बैठना बिठाना बिठवाना रुलाना रुलवाना २४० कितने एक अकर्मक धातु के पहिले अक्षर के स्वर को दीर्घ कर देने से सकर्मक क्रिया हो जाती है परंतु प्रेरणार्थक के रचने में स्वर का विकार नहीं होता केवल वा के मिलाने से बन जाती है। जैसे अकर्मक । सकर्मक। प्रेरणार्थक । कटना काटना कटवाना खुलना खालना खुलवाना गड़ना गाड़ना गड़वाना पलना पालना पलवाना मरना मारना मरवाना लदना लादना लदवाना २४८ कोई २ सकर्मक और प्रेरणार्थक क्रिया नियम विरुद्ध हैं। जैसे अकर्मक। सकर्मक । प्रेरणार्थक । छुटना छोड़ना छुड़वाना ताडना फटना फाड़ना फड़वाना फूटना फोड़ना फुड़वाना बिकना बिकवाना रहना रखना · रखवाना २४६ आना जाना सकना होना आदि कितनी एक ऐसी अकर्मक क्रिया हैं जिन से सकर्मक और प्रेरणार्थक क्रिया नहीं बनती हैं। * खाना और लेना इनके द्विकर्मक और प्रेरणार्थक क्रिया ऊपर की रीति के अनुसार बनती हैं परंतु उनके पहिले अक्षर का स्वर इ हो जाता हे जेसे खाना खिलाना लेना लिवाना ॥ टूटना तुड़वाना बेचना Scanned by CamScanner

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125